मनाली में कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई

हेलो दोस्तों, मेरा नाम शालू है और मैं 32 साल ही हूं। मेरी काया मेरे नाम के ही अनुरूप है, मेरा रंग गोरा है, नैन-नक्श तीखे हैं और मेरे चूचे बड़े-बड़े और तीखे हैं। आज मैं आपके सामने एक धमाकेदार हिंदी सेक्स स्टोरीज लेकर आयी हूँ। इस कहानी का शीर्षक मनाली में कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई है।

मेरी काया ऐसी है, कोई भी एक बार देख ले, वो बार-बार देखना चाहेगा। लोग मुझे देख कर मेरे दीवाने हो जाते हैं। अपने नितंबों की तारीफ तो क्या ही करू मैं। मेरे नितंब ऐसे मटकते हैं, जैसे उछल-उछल कर आशिकों को अपनी तरफ बुला रहे हो।

मेरा आशिकाना अंदाज़ सब चीज़ों पर भारी है। मुझे हमेशा चुदवाने की तालाब लगती रहती है और मैं हर वक्त फड़कते हुए लंड की तलाश में रहती हूँ।

विधाता मुझे मर्द तो देता है, लेकिन इतने कम वक्त के लिए, कि मेरी चूत की प्यास भी नहीं बुझती। अभी मैं पूरा मजा भी नहीं ले पाती और वो चला जाता है। खैर अब मैं अपनी हिंदी सेक्स कहानी पर आती हूं।

ये बात 5 साल पहले की है, जब 2018 की गर्मी की छुट्टियां चल रही थीं। मैंने मनाली का टूर प्लान किया, जिसमें गर्मी से भी निजात मिल जाएगी और घूमने फिरने की मस्ती भी हो जाएगी।

मनाली में कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की देसी कहानी

फिर टूर प्लान करके, मैं मनाली के लिए निकल गयी। टूर पे मैं थी और मेरे साथ कामवाली बाई काजल थी। काजल भी मेरी तरह सिंगल ही थी और उसके विचार भी मेरे विचारों के समान ही थे।

दिल्ली से हम लोग ट्रेन में सफर कर रहे थे। मौसम आशिकाना था, तो छेड़-छाड़ की बात हो रही थी। मैं काजल से बोली-

मैं: देख काजल, कितना सुहाना मौसम है। इस सुहाने मौसम में अगर मन-चाहा हमसफर मिल जाए, तो मजा दो गुना हो जाए।

फ़िर काजल बोली: हा, ज़रा अपने पीछे देखो। (कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई)

फिर उसके कहने पर जब मैंने पीछे देखा, तो मैं देखती ही रह गई। पीछे दो लड़के बैठे थे। वो दोनों लड़के लंबे, तगड़े स्मार्ट और हैंडसम थे।

उन दोनों को देखते ही मेरे जिस्म की आग भड़क उठी और मेरे मन में छोड़ने का ख्याल आने लगा, चाहे एक दिन के लिए ही सही, काश ये नौजवान मुझे मिल जाए।

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मैं जागते हुए ही सपने देखने लग गई और काजल मुझे देख कर हंसने लगी। फिर उसने मुझे झकझोड़ते हुए उठाया और कहने लगी-

काजल: कहां खो गई महारानी जी?

मैं बोली: मैं सच-मुच मैं उन लड़कों के ख्यालो में खो गई थी।

काजल बोली: तो फिर अपने रूप का जादू चलाओ। रूप के जाल में तो साले फ़स ही जायेंगे।

फिर मैंने चुपके से बार-बार उनकी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैंने नोटिस किया, कि वो दोनो भी हमारी तरफ देख रहे थे। मैं उनसे बात करने का बहाना तलाश रही थी। (कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई)

वो कहते हैं ना, ‘भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं’, बिल्कुल सच कहते हैं। भगवान जब भी देता है, दिल खोल कर देता है। और ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ। ट्रैन में वेंडर आया और सामान बेचने लगा।

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हमने भी उसे थोड़ा सामान खरीद लिया, लेकिन हमारे पास खुल्ले नहीं था। विक्रेता को अपने लोगो से खुल्ले देने के लिए अनुरोध करना होगा। चेंज तो उनके पास भी नहीं था, लेकिन उन दोनों में से, एक ने हमारी पेमेंट कर दी। उसने हमने बोला-

एक लड़का: अभी काफी लंबा सफर है, आगे कुछ ना कुछ मैनेज हो जाएगा।

फिर क्या था, ऐसी ही बातों का सिलसिला शुरू हो गया। पहले नाम पूछे गए. फिर काम और जगह की जानकारी का अदन-प्रदान हुआ। फ़िर मनाली में कौन कहा पर रुक रहा है इस बारे में बात हुई।

अंत में हम सब ने एक जगह पर रुकने का फैसला लिया और आगे के सफर में साथ-साथ चल पड़े।

रास्ते में थोड़ा हंसी मज़ाक भी हुआ और छेड़-छाड़ भी हुआ। फिर हम लोग मनाली पहुंच गए और एक होटल में 2 कमरे लेके रुक गए। (कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई)

हमारी आँखों ही आँखों में सेटिंग हो चुकी थी। हम दो लड़किया, उन दो लड़कों से सेट हो चुकी थी। हम लोगो के जोड़े बन चुके थे। मेरे पार्टनर का नाम मनीष था और मेरी कामवाली नीतू के पार्टनर का नाम सुजीत था।

फ़िर मैं मनीष को रूम में ले गई। मैं चुदने के लिए जितनी उतावली थी, मनीष भी मुझे चोदने के लिए उससे कहीं ज्यादा उतावला था।

कमरे में आते ही मनीष ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे रसीले और गुलाबी होंठों का रस चुसना शुरू कर दिया।

मनीष कभी मेरे गालों को चूमता, कभी मेरे गर्दन को चूमता और कभी मेरे होठों को चुनना शुरू कर देता। मनीष इतनी स्पीड से मुझे चूम और चाट रहा था.. कि मुझे कुछ करने का मौका ही नहीं मिल रहा था।

मनीष का मुँह मेरे होठों और गालों को छूने-चुसने में व्यस्त था और उसके हाथ मेरे बड़े-बड़े चुचो को दबाने में लगे हुए थे और उनको सहला रहे थे। अब मेरे चूचे कपड़ो के अंदर हार्ड हो चुके थे और मेरी चूत सलवार के अंदर आग पकड़ चुकी थी।

अब मैं चुदने के लिए बेताब हो रही थी। फिर मैंने मनीष की पैंट खोली और उसकी पैंट उतार दी। फिर मैंने उसके अंडरवियर में हाथ डाला और धीरे-धीरे उसका अंडरवियर उतार दिया। (कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई)

अंडरवियर उतारते ही मनीष का लंबा सा लोडा फुकारे मारता हुआ बाहर आ गया। फिर मैंने धीरे से अपनी कुर्ती भी उतार दी और कुर्ती उतारते ही मेरे कस्से हुए चूचे उछाल कर बाहर आ गए।

अब बस सलवार और पैंटी ही रह गयी थी। मेरी चूत महारानी सलवार के अंदर ही खुशी के आंसू बहने लग गई थी। आंसुओं की बूंदो से पैंटी भी गीली हो चुकी थी। फिर मैंने सलवार और पैंटी दोनों उतार दी।

पैंटी उतारते ही चूत महारानी खुली हवा में सांस लेने लगी। तभी लंड महाराज आगे आये और चूत के आकर-प्रकार की जांच करने लग गये, पिच किस टाइप की है और इसपर बैटिंग कैसे करी जाये।

फिर मैंने फड़फड़ाते हुए लंड को अपनी नाज़ुक हथेलियों में ले लिया और धीरे-धीरे से आगे-पीछे करके सहलाने लग गई। मनीष का हाथ अब चूचो पर से सरकता हुआ, मेरी चूत पर आ पहुंचा।

मेरी चूत से अमृत रस की बारिश हो रही थी और इस बात का पता चलते ही, मनीष ने झपट्टा मार कर अपना मुँह मेरी चूत के मुँह पर लगा लिया। फ़िर वो मेरी चूत के रस का रस-पान करने लग गया।

अमृत रस के रस-पान का असर मनीष को बेकरार कर गया और वो चूत में लंड पेलने के लिए तड़प उठा। मैं भी तो यही चाहती थी, फिर मनीष ने मुझे चित लिटाया और मेरी तांगे खोल कर उनके बीच आ गया।

फिर उसने अपने लंड के सुपाड़े को मेरी चूत के मुहाने पर लगाया और रगड़ना शुरू कर दिया। फिर मनीष ने एक ज़ोर का झटका लगाया और उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया। (कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई)

मेरी थोड़ी सी चीख निकली, लेकिन मजा भी बहुत आया। मनीष का लंड मेरी चूत की दीवारों को चीर कर अन्दर जा चुका था। अब उसका लंड मुझे स्वर्गिक आनंद दे रहा था। मनीष अब तेज़ गति से मुझे चोद रहा था।

मनाली में कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई

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मनीष के हर धक्के का जवाब, मैं अपनी गांड उछाल-उछाल कर दे रही थी। मैं जैसी ही अपनी गांड ऊपर की और उछलती, उसका लोडा घपा-घप मेरी बुर में जाता और बाहर आता।

25 मिनट की ताबाद-तोड़ चुदाई के बाद, दोनों योद्धा पानी-पानी हो चुके थे। अब पानी बहने की वजह से चूत में फच-फच की आवाज आ रही थी।

मेरे मुँह से आह.. आह.. की आवाज़ निकल रही थी और मैं उसको ‘और ज़ोर से, और ज़ोर से’ कह कर उत्तेजित कर रही थी।

फिर मनीष का बदन अचानक ढीला होने गया था और मैं समझ गई थी, कि उसका माल निकलने वाला है। फिर उसने आअहह.. आआहह.. करते हुए अपने माल की पिचकारी मेरी चूत में छोड़ दी।

उसके गरम वीर्य की धार से मेरी चूत सराबोर हो गई। मनीष थक गया था और मेरे सीने पर गिर कर लेट गया। वो मेरे सीने पर शांति से लेता हुआ था, तभी काजल मेरे कमरे में आई। (कामवाली और मेरी ताबड़तोड़ चुदाई)

काजल मेरे रूम में पार्टनर बदल कर चुदाई का प्लान लेकर आई थी। हम दोनों ने काजल के प्लान को खुशी से स्वीकार कर लिया और फिर पूरी रात चोदा-चोदी का खेल चलता रहा। अब यहाँ कहानी ख़तम होती है।

आपको मेरी देसी हिंदी सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे कमेंट में जरूर बताएं। धन्यवाद।

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