दोस्त की रखैल बना

हेलो दोस्तो नमस्कार। मैं आकाश पहली बार अपनी कहानी लिखने जा रहा हूं, उम्मीद करता हूं कि आप सबको मेरी कहानी पसंद आएगी। मेरी ये हिंदी सेक्स कहानी आपके लंड और गांड दोनों में आग लगा देगी। ये कहानी मेरी और मेरे दोस्त दिलीप की है जिसमे मैं अपने दोस्त की रखैल बना और उसके लंड का दीवाना हुआ।

अब ज्यादा टाइम खराब ना करते हुए मैं अपनी कहानी पर आता हूं। मेरी ये गे कहानी एक दम सच्ची है।

इस कहानी में आप पढ़ोगे कि कैसे उससे मेरी गांड की सील तोड़ी। अगर मैं औरत होता तो ना जाने मैं उसके कितने बच्चों की माँ होती।

दिलीप और मैं दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ाई करते थे। वेसे वो मेरा जूनियर था, पर बाद पता नहीं कब वो मेरा सीनियर बन गया। ब्लू पिक्चर देखते हुए हम दोनों कब एक दूसरे के इतने करीब आ गए, कि मुझे पता तक नहीं चला।

पर हम ये तय नहीं कर पा रहे हैं, कि कौन पहले किसको चोदेगा। और आपने फैसला किया कि हमने सिक्का उड़ा कर किया।

किस्मत कहे या मेरी बदकिस्मत, मैं हार गया और ये फैसला हुआ कि दिलीप मेरी गांड पहले चोदेगा। उस समय मुझे ये बिल्कुल भी पता नहीं था, कि गांड मरवाने में इतना ज्यादा मजा आता है।

मैं पहले फैसला नहीं कर पाया था, कि मैं गांड हूँ हां नहीं। पर थोड़े मनवाने के बाद मैं गांड मरवाने के लिए राजी हो गया। पर अब हमारे मिलने की बहुत बड़ी दिक्कत थी, सबसे बड़ी समस्या जगह की थी।

दोस्त की रखैल बना – लंड चूसने का पहला अनुभव

हमें ऐसी जगह की तलाश थी कि जहां हम एन्जॉय भी कर सकें, और कोई रिस्क भी ना हो। ये बात शायद 2010 की है, उस समय गे रिश्तों को एक क्राइम की तरह देखा जाता था।

दिलीप के अंदर सेक्स की चाहत अब बढ़ती ही जा रही थी, मैं बहुत खुश था कि मुझे गांड देने के लिए कोई जगह नहीं मिल रही थी। इसी तरह से 1-2 महीने निकल गए, पर जगह का कोई इंतज़ाम नहीं हो रहा था।

हम दोनों ये बात भूल गए थे, कि नसीब में जो लिखा होता है वो ही होता है। इसको कोई भी बदल नहीं सकता, मैं कॉलेज अपना रोल नंबर लेने जा रहा था।

मैं- दिलीप क्या तुम मेरे साथ चलोगे?

मैं इस बात से अंजान था, कि आज मेरी जिंदगी बदलने वाली है। इसलिए हम कॉलेज चले गए और वहां सब दोस्त आए हुए थे। दिलीप मेरे सब दोस्तों को जानता था, और उसकी गर्लफ्रेंड भी अपना रोल नंबर लेने आई थी। (दोस्त की रखैल बना)

दोस्त की रखैल बना

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रोल नंबर लेने के बाद हम सब ने काफी मस्ती की, क्योंकि वो हमारी कॉलेज लाइफ का आखिरी दिन था। इसलिए मैं वो दिन बहुत अच्छे से एन्जॉय कर रहा था।

फ़िर सब जाने लागे और मुझे टट्टी आ गई, मैंने सबको बाय बोला और मैं दिलीप से बोला – भोसड़ी के मैं हग कर आता हूँ।

मैं कॉलेज के एक टॉयलेट में गया, वहां कोई नहीं था। वहा सिर्फ मैं और दिलीप अपने पुरे कॉलेज में कोई नहीं थे। वहा सिर्फ कुछ टीचर थे और एक कॉलेज गार्ड था।

इस मोके का दिलीप ने पूरा फ़ायदा उठाने के लिए सोचा, और वो बोला – आज हमारे पास मोका है, हम आज सेक्स कर सकते हैं जिसे हमने तय किया था। (दोस्त की रखैल बना)

तो अब वो मेरी गांड चोदने की जिद करने लग गया, मैं मन ही मन सोच रहा था कि मैं यहां हगने आया था और ये बहन का लौड़ा मेरी गांड मारने के चक्कर में है। इसे अच्छा मैं हगने ही नहीं आता।

तो उसने दरवाजा आधा ही बंद किया, क्योंकि जब दरवाजा बंद होता था तब उसमें से आवाज आती थी। इसे हम सावधान हो जाते हैं, मैंने कभी नहीं सोचा था कि कॉलेज के टॉयलेट में मैं सेक्स करूंगा।

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पर होनी को भला कौन टाल सकता है, हम टॉयलेट में चले गए। दिलीप मेरी गांड को दबाने लग गया, उसने कहा – हम किस नहीं करेंगे।

क्योंकि मुझे भी किस करने में थोड़ा अजीब सा लगता था। इतने में वो बोला – चल रंडी अब मेरा लंड चूस।

उस समय मैंने ये नहीं सोचा था कि मैं सच में उसकी रंडी बन जाऊंगी। अब मैं अपनी एक औरत की तरह बर्ताव करने लग गई, क्योंकि अब शायद मेरे अंदर की औरत जाग गई थी।

वो किसी राजा की तरह टॉयलेट सीट पर बैठ गया, और वो बोला – चूस मेरे कुत्ते मेरा लंड चूस।

उसका लंड क्या था, उसका ये लंड मैंने पहले कभी इतने करीब से नहीं देखा था। उसका लंड करीब 8 इंच बड़ा और 3 इंच मोटा था, वो एक दम लोहे की रॉड की तरह कड़क था। (दोस्त की रखैल बना)

उसके लंड की महक इतनी मस्त थी, कि मैं उसका उपयोग करके पागल हो रहा था। मेरी गांड में अब कुछ होने लग गया था, इसे पहले मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं किसी मर्द का लंड टॉयलेट में चूसूंगा।

उसकी गरम आहे बता रही थी, कि उसको भी बहुत मजा आ रहा है। मुझे तो ऐसा लग रहा था, कि मुझे जन्नत मिल गई है। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं लॉलीपॉप की तरह चूस रहा था।

अब वो खड़ा हो मेरे मुँह को ऐसे चोदने लग गया, जैसे वो किसी रांड की चूत चोद रहा है। बीच-बीच में वो लंड को बाहर निकाल कर लंड को मेरे मुँह पर भी मारता था, मुझे इतना मजा आ रहा था कि इसके लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है।

उसका प्रीकम मैं पूरा चाट गया, प्रीकम और पेशाब का स्वाद अब मेरे गले में उतर गया था। वो नमकीन का स्वाद जैसा था मैं कभी नहीं भुला सकता।

अब मुझे काफी मजा आ रहा था, और वो मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह चोद रहा था।

दिलीप – ओए भोसड़ी के मेरा अब निकलने वाला है।

मैं- मेरे मुँह में ही निकल दे ना। (दोस्त की रखैल बना)

फिर उसने पूरा एक कप जितना अपने लंड का पानी मेरे मुँह में निकाल दिया। जिसको मैं पूरा पी नहीं पा रहा था। और उसका लंड अपने मुंह से बाहर निकालने का मेरा मन नहीं कर रहा था।

शायद अब मेरी अंदर की औरत अब मेरे ऊपर हावी हो गई थी, और अभी तक मैं संतुष्ट भी नहीं हुआ था।

दिलीप- अबे गांडू अब मेरा लंड खाएगा क्या?

उससे पहले मुझे गांडू एक गन्दी गली लगती थी, पर तब मुझे ऐसा लगा कि वो बस मुझे गांडू बोलता रहे और मेरे मुँह में अपना पानी भरता रहे।

मैं उसके लंड के लिए अब पागल हो गया था, पर तभी कोई आ गया। और ना चाहते भी मैंने लंड को अपने मुँह से निकाल दिया, और वो जल्दी से बाहर आ गया।

और हमारे कॉलेज में कॉमर्स स्ट्रीम का अनिल था और वो बोला – तू आज बाथरूम में क्यों आया है?

दिलीप- राहुल के साथ आया हूं वो टॉयलेट में, और भोसड़ी के राहुल तुझे और कितनी देर लगेगी।

मैं- भाई बस 2 मिनट।

फिर मैंने दिलीप को मैसेज किया और मैंने लिखा – साले तू यहां से अनिल को ले जा, मैं अभी अपना मुंह धो कर आता हूं।

उसके बाद हम तीनो वापसी आ गए, पर मैं अब दिलीप को अपनी गांड देना चाहता था। पर हमें मोका नहीं मिला और ऐसे ही हमारे एग्जाम शुरू हो गए। (दोस्त की रखैल बना)

अब हमारे बीच में कोई एक्शन नहीं हुआ, पर अब मैं अंदर से पूरी औरत बन गया था। अब मैं सपनों में दिलीप की दुल्हन बन कर चुदने लग गया था।

मैं अब उसके नाम से मुठ मारा करता था, और उसके अंडरवियर को चटने लग गया था। अब दिलीप भी मुझे चोदने की सोचने लग गया था। पर हम अपनी इच्छा को दबा रहे थे।

अब हम चैट भी पति पत्नी की तरह करने लग गए, मैं दिल से उसको अपना सब कुछ मान चुका था। पर अभी तक हमारी सुहागरात भी नहीं हुई थी, और हम दोनों इसके लिए तड़प रहे थे।

मैं कुछ ज्यादा ही तड़प रहा था, दिलीप अब मेरा सिर्फ दोस्त नहीं था। वो मेरा सब कुछ बन गया था, अब वो मेरे सामने अगर किसी लड़की की तारीफ करता था तो मुझे काफी जलन होती थी।

मैं उसका लंड चूसने के लिए तड़प रहा था, वो अकेले में मुझे गांडू कुतिया कह कर बात करता था। अब मैं भी पूरी तरह से उसका होना चाहता था।

मैं उसका लंड चूसना चाहता था और उसे अपनी गांड का उदघाटन करवाना चाहता था। मैं उसके पेशब से नहाना चाहता था, पर ये सब कैसा होगा? (दोस्त की रखैल बना)

क्योंकि हमारे पास जगह नहीं थी, इसलिए मैंने उसको ओयो रूम बुक करने का सुझाव दिया। पर इतने में उसकी फट गई, हमें ये आइडिया ड्रॉप करना पड़ा।

मेरे एग्जाम अब पुरे हो गए थे और वो भी अब फ्री था। इसलिए हमारे पास कोई और काम नहीं था, मैं बस उससे चुदना चाहता था।

उसके लंड को मैं अपनी गांड के अंदर महसूस करना चाहती थी। सिर्फ एक बार लंड चुसाई करने से मैं पूरी तरह से बदल गया था, और ये बात उसको भी समझ आ गई थी।

इसलिए हमने किसी सुनसान जगह में मिलना प्लान किया, और किस्मत से हमें एक जगह भी मिल गई जहां कोई आता जाता नहीं था।

वो दिन मुझे अभी भी याद है, जब मैं अपनी मर्जी से अपनी गांड की सील तुड़वाने जा रहा था।

हम एक जंगल में गए थे और वहा दिन के समय में कोई नहीं आता था। अगर कोई आएगा तो हम बोलेंगे कि हम दोनों पॉटी करने आए है। (दोस्त की रखैल बना)

हमने एक झाड़ी के अंदर अपनी चुदाई का खेल शुरू कर दीया, उसके लंड को मैंने 6-7 महीने से टच तक नहीं किया था। मैंने उसके लंड को देखते ही उसे अपने हाथों में ले लिया।

अब मैं किसी बच्चे की तरह उससे खेलने लग गया, और वो बोला – अब चूस ना गांडू।

मैं उसके लंड को चूसने लग गया, वाह क्या मस्त खुशबू थी। अब मैं पागल हो गया और 10-12 मिनट के बाद उसने अपना मर्दन अमृत मेरे मुँह में डाल दिया।

पर नसीब में उस दिन भी चुदना नहीं लिखा था, मैं कैसे और कब अपने दोस्त से चुदा, मैं आपको अपनी इसी गे सेक्स स्टोरी के अगले भाग में बताऊंगा। धन्यवाद।

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